Monday, 9 October 2017

AVINASH JHA SPEAKS


                                                

      AVINASH JHA SPEAKS

     PUBLIC RELATION OFFICE OF AVINASH JHA ( BJP) 

     AT:- ARARIA SANGRAM , JHANJHARPUR , DIST- MADHUBANI ( BIHAR)


AVINASH JHA 

            
बिहार के विकास पर , प्रदेश के निवासियों की शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के उचित निराकरण एवं मूलभूत मानव लक्ष्यों की पूर्ति हेतु भाजपा के अगुवाई में चल रही केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( एन. डी . ए ) सरकार निरंतर सक्रिय एवं कार्यरत है .

 केंद्रीय विद्यालय में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति , नये केंद्रीय विद्यालय की स्थापना , प्रदेश में एम्स की तरह का एक अति विशिष्ट अस्पताल की स्थापना , सैकड़ो किलोमीटर नये नेशनल हाईवे की स्वीकृति , रेल लाइन के आमान परिवर्तन समेत कई ऐसे कार्य है जो प्रदेश वासिओं को हर्षित एवं गर्वान्वित करेगी .

उज्ज्वला योजना के तहत घरेलु रसोई गैस कनेक्शन प्राप्त कर कई घरों की महिलाओं की रसोई में बिताये जाने वाले समय एवं दशा दोनों बदल रही है .

घर - घर शौचालय अभियान के द्वारा जागरूक गरीब एवं अमीर दोनों ही आर्थिक दशा वाले परिवारों को  राहत एवं स्वालम्बी होने का भान कराता है .

 कंप्यूटर साक्षरता अभियान के तहत प्रशिक्षण लेकर प्रदेश के अधिसंख्य जागरूक युवा एवं विद्यार्थीगण अपने भविष्य को सवांरने में नित्य क्रियाशील है , पढाई से लेकर व्यापार एवं अन्य सभी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए कंप्यूटर एवं डिजिटल माध्यम का सहारा ले रहे हैं , गुणवत्ता एवं विषय-वस्तु  दोनों की समझ बढ़ रही है , उन्हें कोई ठग या बरगला नहीं सकता .

कई छोटे एवं बड़े उद्योग धंधे , वाणिज्य एवं व्यवसाय का ठोस प्रारम्भ हुआ है , कुछ प्रक्रियाधीन है .

रोज़गार सृजन के कई प्रयास लगातार चल रहे हैं जिससे जरूरतमंद एवं दक्ष युवकों एवं युवतियों को जीवन-निर्वहन की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके .

संस्कार , संस्कृति एवं अनुशासन तो घर एवं परिवार से होती है , तदनुरूप समाज , टोला , गाँव एवं आबादी की बिभिन्न सांगठनिक इकाइयों का गठन होता है . थोड़ी आवश्यकता अपने देश की प्राचीन सभ्यता , संस्कृति , कला, एवं अन्य अनुकरणशील रचनाओं पर देने की है , जिससे वर्तमान युवा की बात तो दूर , व्यस्क भी दूरी बना कर रखे हुए हैं .

हमारा देश कभी विश्व गुरू था , आज हम नकलची होते जा रहे हैं एवं पाश्चात्य सभ्यताओं एवं संस्कृतियों के अनुकरण में
स्व हित का भी चिंतन नहीं कर रहे , समाज एवं राष्ट्रहित की बात तो दूर है . अंधाधुंध विदेशी सामग्रियों का आयात,
दैनिक आवश्यकताओं में प्रयोग एवं विदेशी सामग्रियों के व्यवहार को स्टेटस सिंबल बनाना मानसिक विपन्नता का घोतक
 नहीं तो और क्या है .

हमारी खादी प्रायः लुप्त हो रही है . किसानो के खेती परंपरा से कई महत्ववाले फसल लुप्त हो गयी ,पैकेट बंद दूध खाने
 को स्टेटस सिंबल बनने से मवेशी घरों से गाय भी गायब हो गए.

कई त्योहार एवं अनुष्ठान तो मुझ जैसे कम उम्र वाले व्यक्ति के लिए भी इतिहास की बिषय वस्तु हो गयी .

 भारतीयता एवं भारतीय होने की कद्र थी कभी विश्व के सामजिक पटल पर , यहाँ की प्रत्येक परंपरा एवं अनुष्ठान में
  वैज्ञानिकता थी , मानव जीवन हेतु दशा एवं दिशा वर्धक थी .

एक दुसरे को दिखाने यानी दिखावा में बाज़ारवाद का अभ्युदय हुआ , पश्चमिकरण एवं विदेशी वस्तु के उपभोग एवं उपयोग
की आंधी चली , अपने देश की कई अमूल्य रचना , कृति , एवं संघटन नष्ट हो गए . आज विदेशी खाद्य सामग्री एवं पेय लगभग सभी भारतीयों के भोजन प्रबंधन में अपनी जगह बना चुका है .

कामचोरी एवं फैशन की भी हद होती है , लोग प्लास्टिक चावल खा सकते हैं , पोस्टर कलर से बना दूध पी सकते है ,
 लेकिन स्वास्थ्य आहार के लिए कृषि कार्य नहीं कर सकते . स्टेटस सिंबल नीचा होता है कृषि कार्य करने वालों का ,
 ऐसी बात सच के रूप में माना जा रहा है आज के वर्तमान समाज में . अत्यधिक बाज़ारवाद को प्रश्रय देने के बाद 
  क्या होता है हम इस बात की भी अनुसंधान कर रिपोर्ट बनाने के दौर में चल रहे है .

भड़कीले रैपर वाले मशाले , चावल , दाल , मिर्च एवं धनिये की पाउडर एवं ना जाने क्या क्या .

आज मनुष्य केवल खाने के लिए ही जी रहा है यह प्रत्येक घर में परोसे जाने वाले भोजन एवं भोजन विन्यासो से
 पता चल जाता है . 
कुल जमा 100 के बदले 400 का खपत कैसे किया जा सकता है .

लोगों ने सही गलत खाकर एवं स्टेटस सिंबल अपनाकर सभी छोटे बड़े अस्पतालों कोडंपिंग केंद्र ( मानव कूड़ेदान )
 बना दिया है .

शुरुवात बिहार राज्य के विकास में प्रयासों से होते हुए हम मानव के कार्य , कर्त्तव्य , एवं मनोदशा
तक चले जाते रहे जिसमे  क्षेत्र का बंधन नहीं होकर सम्पूर्ण हिन्दुस्तान को समाहित कर लिया गया .

सभी व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य एवं अंतिम लक्ष्य एक ही है एवं सभी उसे पाने में सफल हो जाते है , 
सर्वशक्तिमान ईश्वर किसी को भी परम उद्देश्य एवं परम लक्ष्य की प्राप्ति के इम्तिहान में असफल नहीं करते .
 लेकिन ईश्वर निर्मित इंसान आज अपनी मानसिक उद्वेग एवं विचलन की तरंग में प्रकृति की सभी नैसर्गिकता
 को ध्वस्त कर चुका है .

उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों से कई कलाकृतियां बनाने की परंपरा कमोबेश हिन्दुस्तान के सभी राज्यों में थी .
 गीत - संगीत , न्याय , मीमांसा ,दर्शन , कला , विज्ञानं , चिकित्सा समेत सभी पहुलओं पर हमारी स्थिति निम्न 
 स्तर को छूने की स्थिति में है .

   विद्व्ता बाज़ार में बिकने लगी है , पैसे देकर परीक्षाफल अनुकूल एवं प्रशंसनीय किया जाने लगा है , 
       क्या ऐसी स्थिति किसी देशभक्त या राष्ट्रहित में सोचने वाले व्यक्ति का निर्माण कर सकती है .

     घूसखोरी क्या देशद्रोह नहीं है ? कौन ऐसा समाज बचा है जो घूसखोरों के आगे नतमष्तक नहीं है .

   लोग फक्र से अपने बच्चों या अन्य सम्बन्धियों के घूसखोर होने एवं भारी मात्रा में बाहरी आमदनी होने की बात कह
   इतराते है , दिखाने की कोशिस होती है की बाज़ारवाद के इस दौर में सामाजिक अग्रणी की उनकी भूमिका है .

   देश एवं राज्यों की कितनी भी समस्याओं का निराकरण क्यों नहीं कर लिया जाए , वे निरंतर बने रहेंगे , 
    आबादी बढ़ रही है . वैसे भी भौतिक विकास सतत एवं निरंतर चलते रहने वाली प्रक्रिया है .

  बौद्धिक विकास सम्बंधित मुद्दों पर कितनी आवाज़ को जोड़ पाने की क्षमता रखता है अपना वर्तमान समाज ?

   वार्ड सदस्य के चुनाव से लेकर संसद चुनाव तक आपको अपने समाज में कई ऐसे समूह मिल जायेगे जो 100 से
  1000 रुपये तक लेते हैं वोट देने के लिए , उम्मीदवार कोई भी रहे - वोट के बदले नोट ही चलेगी . 
   वोट बेच सकते हैं तो देश बेचने में वैसे आदमी को कितनी देर लगेगी ?

   समय अभी जाति , बिरादरी , धर्म एवं पंथ के तरफ सोचने की नहीं , भारतीय सनातन परंपरा के तरफ , 
   यहाँ की प्रकृति एवं भौगोलिक संरचना के तरफ अनुसंधानात्मक ढंग से सोचने की है . 

   जलवायु परिवर्तन स्पष्ट तौर पर अनुभव योग्य है , वृक्षों की कटाई , प्रदूषण ही अब मुद्दे नहीं हैं ,
   कई ऐसे सूक्ष्म तत्व सक्रिय होकर मानव अस्तित्व के लिए खतरा हो चुकी है जिसे दवा की गोली से
   नहीं बल्कि मानवीय विवेक एवं आत्मचिंतन से दूर करने का प्रयत्न किया जा सकता है.

   बिजली , सड़क , रेल , पुल को मुख्य मुद्दा नहीं बनाकर संस्कार सृजन , चरित्र निर्माण एवं अनुशसित ,
   शिक्षित , कला , संस्कृति , परंपरा निपुण समाज एवं वैसे समाज के लिए आवश्यक सभी वैकल्पिक ढांचा 
   के निर्माण को मुद्दा बनाने की आंतरिक शक्ति समाज के सभी सदस्यों को अपने अंतरात्मा एवं अंतर्मन 
    में विकसित करनी होगी .

  आत्म-संयमित एवं विवेकशील होने की लक्ष्य को आज प्राप्त कर ले अपना भारतीय समाज ,
  अपना देश पुनः जगतगुरु के सम्मानित ओहदे को प्राप्त कर लेगा .

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               Avinash jha on his initiative for the development of C.M. Law College , Darbhanga