Monday, 14 November 2016

माननीय श्री प्रधानमंत्री महोदय
श्रद्धा एवं विनम्रता संग सादर नमस्कार

सन्दर्भ - बैठा रखी है हमने, तेरी सु-मूर्ति मन में। फैला के हम रहेंगे, तेरा सु-यश भुवन में।।

आदरणीय मार्गदर्शक ,
भारत प्राचीन काल से शौर्य, पराक्रम , विद्वता , परोपकार , दान , तप , पुण्यकर्म ,न्याय , मीमांशा ,सहित साधना की भूमि रही है l
भारत एवं नेपाल के सीमाक्षेत्र पर अवस्थित मिथिला भू-भाग का विश्व-सभ्यता पर एक अमीट छाप रहा है , यहाँ के लोगों ने विद्वता एवं तप के बल पर ऊंचाइयों को प्राप्त किया एवं प्रतिष्ठित हुए l
 माननीय मार्गदर्शक , मिथिला में भी शौर्य का प्रसार आधुनिक समय में होता दिख रहा है जिसके पोषण की अति आवश्यकता है l इस भू-भाग के लोग शांत प्रवृति , सहनशील ,कर्तव्यनिष्ठ एवं सहज हैं l
अवलोकन एवं विश्लेषण का नज़रिया सभी व्यक्ति की अलग-अलग हो सकती है l
 माननीय प्रधान महोदय , मिथिला भू-भाग के युवाओं का सैन्य सेवाओं में शामिल होकर राष्ट्रभक्ति के जज्बे मुझे भी हर्षित करती है एवं फक्र होता है हम भी अपनी मातृभूमि के कण-कण को सुरक्षित एवं संवर्धित रखने को अपना कर्त्तव्य उस गिलहरी की भांति कर रहे हैं जिसने श्री राम के प्रति अपना कर्तव्य का पालन पूर्ण ईमानदारी से किया एवं प्रासांगिकता तथा अमरत्व को प्राप्त हुआ l
माननीय प्रधान महोदय , दिनांक 09 नवम्बर 2016 को पाकिस्तानी गोलीबारी में दुश्मनो को मुहतोड़ जवाब देने के क्रम में शहादत को गले लगाने वाले मिथिलापुत्र एवं राष्ट्रमाता के बहादूर सिपाही , बी एस एफ जवान विकास कुमार मिश्र का सन्दर्भ करें l
अमर शहीद विकास कुमार मिश्र , मधुबनी ज़िला के झंझारपुर अंचलन्तर्गत रैयाम गांव के निवासी हैं , पारिवारिक पृष्ठभूमि गरीबी के दंश झेलते हुए विकासवादी कल्पनाओं से चल रही थी , फूस का एक मात्र घर और उसमें शहीद के पितृविहीन परिवार के चार भाई - तीन भाभी एवं भतीजा - भतीजी l
  दो बहनो की शादी में कुछ कठ्ठों की कुल वसीयत का अधिकांश हिस्सा बिक चूका है l  ह्रदय की गंभीर बीमारी से ग्रसित शहीद की माँ तो विपदाओं का भयानक काला पहाड़ अपने समक्ष खड़ा पाया एवं अभी भी चेतना शून्य एवं किंकर्तव्यमूढ़ दशा में है l मैंने निर्देशानुसार शहीद के गाँव एवं घर जाकर सभी पहलुओं को काफी बारीकी से अध्यन किया एवं  पारिवारिक विपदा से जूझ रहे शहीद के परिवारजनों को सम्बल प्रदान करने हेतु प्रतिदिन अधिक से अधिक समय शहीद के आँगन में व्यतीत किया l
माननीय प्रधान महोदय ,राष्ट्रमाता एवं जन्म तथा पालनपोषण करने वाली माता, दोनों के लिए शहीद का बलिदान फक्र एवं गर्वान्वित करने वाले पल अवश्य लाते हैं लेकिन मानव की स्मृति बड़ी ही अल्प होती है एवं शहीदों का बलिदान एवं त्याग मानव प्रजाति के जेहन से विस्मृत हो जाता है एवं शहीदों के परिवार का सुधि  लेने वाला कोई नहीं होता l
 शहीद विकास कुमार मिश्र ने अल्पायु एवं अविवाहित अवस्था में शहादत को प्राप्त किया है , उन्होंने अपने जीवन को सार्थक करने एवं प्रचंड यश अर्जित करने के उपरान्त ही अंतिम पड़ाव की ओर प्रस्थान किया ,उस शहीद को अजर-अमरत्व प्रदान करने हेतु हमें भी विवेकशील होना होगा एवं निर्णय लेने हेतु भावी पहलुओं को भी विचार करना होगा जिससे अत्यधिक मात्रा में युवा राष्ट्रसेवा को उद्धत हो सकें l
माननीय प्रधान महोदय , एक कलाकार गायक जब अपनी कृति के अमरत्व की इच्छा रखता है और - " मेरे गीत अमर कर दो " जैसे अभिव्यक्ति देता है तो एक वीर वंकुरा भारतमाता के पुत्र की क्या इच्छा रहती  होगी l
 महोदय भारत की , खासकर मिथिला की परंपरा रही है की पुत्र या पुत्री किसी व्यक्ति के नाम को रेकॉर्डों एवं संचिकाओं में जीवित रखते हैं l  हमारे मिथिलापुत्र अमरशहीद विकास कुमार मिश्र के नामों को चिर अमरत्व प्रदान करने की जिम्मेदारी प्रथमतया मेरी है एवं सभी विसंगतियों को दूर कर उसपर सहमति प्रदान करना आपका कर्त्तव्य है ताकि युवावर्ग को हम हतोत्साहित होने से रोक सकें l
 हाजीपुर मंडल के लोहना रोड स्टेशन का नामांकरण बी एस एफ शहीद विकास कुमार मिश्र के नाम पर किया जाये तो उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर जीवंत रहेगा एवं हमारे - आपके बाद भी रेलवे विभाग का कोई कर्मचारी - अधिकारी शहीद का नाम लेते हुए जब उनके गाँव में उनके जयंती या शहादत दिवस पर औपचारिकता को पूरा करने के उद्देश्य से पहुंचेगा तो उस शहीद की आत्मा अवश्य इठला - इठला कर अपने जीवन की सार्थकता एवं देशप्रेम से , आने वाली कई मानव पीढ़ियों को हर्षित करेगी , वीरों को सरसायेगी l
 माननीय प्रधान महोदय , मैंने मराठों का शौर्य , वनांचल की निश्छलता ,एवं मानवीय संवेदनाओं एवं वृति कर्मों की गहन प्रायोगिक दीक्षा विदर्भ भू-भाग के चंद्रपुर में 15 वर्ष रहकर लिया एवं संघ शक्ति एवं सुकर्म वृत्ति पर अनुसंधानरत हूँ एवं सौभाग्य है की हमारे सरसंघचालक के गाँव होने का गौरव भी चंद्रपुर को सौभाग्यवश नहीं अपितु कर्म एवं कर्मठता के बदौलत ही मिला l
 प्रधान महोदय , एक सैनिक की अपने नाम , यश ,एवं देश के अमरत्व की क्या आकांछा होती होगी इस सन्दर्भ में आपसे क्या वर्णन करना , आपकी अनुशासित एवं संयमित जीवनशैली क्या किसी सैनिक से कम है l
 महोदय , मिथिला में लोगों को सामने वाले से आकांक्षाएं अनंत होती है , वर्तमान में भ्रामकताएं भी आयी है एवं क्रियाशील लोगों को विभ्भिन्न हथकंडों से हाशिया पर डालने की प्रथा का सबसे जीवंत एवं मौलिक स्वरुप मिथिला भू-भाग में ही अनुभव करने को मिलेगा  ,संवाद  प्रेषण में ईमानदारी होनी चाहिए ,अतः जिक्र आवश्यक था।
माननीय प्रधान महोदय ,अमर शहीद  विकास कुमार मिश्र को अमरत्व प्रदान करने के मेरे सन्दर्भ को  रेल मंत्रालय , भारत सरकार एवं सम्बंधित विभाग को जांचोपरांत क्रियान्वयन हेतु निर्देशित करेंगे ऐसी आकांक्षाओं एवं आपके नेतृत्व में शस्य श्यामलां मातरं की वैभव , शौर्य , संस्कृति , समृद्धि को पुनर्स्थापित करने के महायज्ञ  एवं महाप्रण का लगातार बिना किसी विघ्न-बाधा के महत्वपूर्ण हिस्सा बना रहूँ ऐसी कामनाओं के संग

अर्पित सु-मन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
पूजा या पन्थ कुछ हो, मानव हर-एक नर है। हैं भारतीय हम सब, भारत हमारा घर है।।

 
आपका सदैव ,

अविनाश झा ( राजा बाबु )

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