Tuesday, 26 December 2017

         AGRICULTURE IN INDIA 

 ' होरी ' और ' बलचनमा ' केवल उपन्यास में अवतरित होने वाले काल्पनिक पात्र नहीं हैं 
अपितु कृषक जीवन के जीवंत पात्र हैं जो कृषकों के संघर्ष एवं विपत्ति की कहानी कहते हैं .
सरकारी नीतियों एवं प्रदूषण जनित जलवायु परिवर्तन के कारण आज भी असंख्य ' होरी ' और ' बलचनमा '
विवशता भरा जीवन यापन करते हुए आत्महत्या कर रहे हैं !
भारतीय किसानो का जीवन कल भी विडंबनापूर्ण था और आज भी है -
धरती पुत्र की विडंबनाओं का अंत एवं उसके भाग्य लिपि मे सकरात्मक परिवर्तन के
नये युग का आरम्भ हो ,
ऎसी दिव्य आशय से माननीय प्रधानमन्त्री ,
वित्तमंत्री एवं अन्य जिम्मेदार पद धारकों को
आग्रह पत्र प्रेषित किया .
आशा रखता हूँ , अपने कृषक समाज के
जीवन्त पात्र सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें !
आपका ,
अविनाश झा
भारतीय जनता पक्ष

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